Tuesday, December 18, 2018

मरम्मा मंदिर के प्रसाद में मिला था खतरनाक पदार्थ, मरने वालों की संख्या 14 हुई

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2019 से पहले खिलाड़ियों की नीलामी 18 दिसंबर को जयपुर में होगी। यह नीलामी एक दिन की होगी। इससे पहले आईपीएल की नीलामी दो दिन चलती थी। इसके आयोजन स्थल में भी बदलाव किया गया है। इस बार आईपीएल की नीलामी बेंगलुरु की जगह जयपुर में होगी जिसमें 346 खिलाड़ियों को बोली के लिए चुना गया है। इनमें से भारतीय खिलाड़ियों की संख्या 226 है। आईपीएल 2019 की नीलामी दोपहर को शुरू होगी।
10- चुनाव से पहले प्रधानमंत्री प्रत्याशी की घोषणा गैरजरूरी : विपक्षी दल
राहुल गांधी को विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने के द्रमुक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन के प्रस्ताव पर विपक्षी दलों ने अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दी है। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि समय से पहले ऐसा कदम विपक्षी खेमे को बांटेगा। एनसीपी ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी बहस करने की जरूरत नहीं है। जबकि वामदलों ने कहा कि चुनाव से पहले ऐसी घोषणा गैरजरूरी है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर ने सोमवार को कहा कि चामराजनगर जिले में एक मंदिर में प्रसाद ग्रहण करने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। जो प्रसाद वितरित किया गया था, उसमें इंसान के लिए खतरनाक पदार्थ के अंश मिले हैं।
जी. परमेश्वर ने कहा कि प्रसाद के नमूने अपराध विज्ञान प्रयोग भेजे गए थे और उनमें ऑर्गेनोफोस्फेट के अंश मिले हैं। यह रसायन इंसान के लिए खतरनाक है। उन्होंने विधानसभा सत्र में कहा कि इस घटना के सिलसिले में 7 लोग हिरासत में लिए गए हैं। कुछ (संदिग्ध) गांव छोड़कर चले गए हैं, जिन्हें ढूढा जा रहा है।
गृह विभाग का भी कामकाज देख रहे परमेश्वर ने कहा- यह किसने किया, इसके पीछे मंशा क्या थी, यह सब भी सामने आ जाएगा। जांच चल रही है। एक या दो दिन में सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिरों में वितरित किया जाने वाला प्रसाद बड़ा पवित्र माना जाता है और सुलवाड़ी गांव में भूमिपूजन कार्यक्रम में किच्छुगुट्टी मरम्मा मंदिर में हुई यह घटना दुखद है। 
प्रसाद के तौर पर तैयार की गई खिचड़ी करीब 150 लोगों में बांटी गई थी और उसे खाने के आधे घंटे बाद ही लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। गृहमंत्री ने कहा- तत्काल ही बीमा लागों को समीप के अस्पताल में ले जया गया। 11 लोगों की मौत हो गई और 125 लोगों का इलाज चल रहा है। अस्पताल में बाद में दो और की जान चली गई। अब मरने वालों की संख्या 14 हो गयी है।

Monday, December 3, 2018

بعد الاعتراف بـ 33 خطأ.. التربية ترد على تقرير بشأن رياضيات الثالث المتوسط

ردت وزارة التربية، اليوم الاحد، على تقرير بشأن وجود اخطاء في مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط.

وذكر بيان لوزارة التربية، في رد حول التقرير بخصوص كتاب مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط والاشكالية الموجودة فيه، تلقت (بغداد اليوم)، نسخة منه، أن "المديرية العامة للمناهج المديرية بينت مسألة طباعة الكتب التي عرض التقرير عليها، بقيام الوزارة بإعادة الكتب الدراسية سنوياً وهذا من واجباتها ان تقدم لأبنائها الطلبة كل عام كتاباً جديداً نظيفاً يليق به، لان الكتاب معرض للاستهلاك والعبث بالإضافة الى سوء الاستخدام، وهذا فرق بين اعادة الطبع وتألف الكتاب الذي يجهلهُ الكثيرون فالطباعة تختلف عن التأليف".

وأضاف البيان، أن "هذه الأخطاء التي لا تتعدى ان تكون مطبعية وملاحظات لتبسيط الحل وأخرى لغوية وفنية وهذا الامر يحصل في الكتب المدرسية في بعض الدول، حيث يتم وضع في نهاية كل كتاب مدرسي صفحتين فارغتين بيضاء تُخصص لتدوين الأخطاء والملاحظات ان وجدت من قبل المعنيين".

وتابع البيان، "اما فيما يخص كثرة الاسئلة العلمية حول موضوع المبرهنة والتمرين، فقد عمدت المديرية على وضعها لغرض توفير مهاره للطلاب في فهم العمليات الرياضية وهذه معايير عالية"، داعيةً جميع وسائل الاعلام المقروءة والمسموعة الى "توخي الدقة عند نشر الاخبار المتعلقة بالوزارة والتأكد من مصدرها حفاظاً على العملية التربوية ورصانتها".

وكانت وزارة التربية قد حددت، أمس السبت، 01 كانون الأول، 2018، في وثائق الأخطاء في كتاب مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط طبعة 2018 الطبعة الاولى للمنهج، بعد طباعته وتوزيعه على طلاب المدارس في البلاد.

ووفقا للتعميم الذي أصدرته وزارة التربية، لكافة التربيات في العراق، باستثناء إقليم كردستان، فإن كتاب الرياضيات للصف الثالث متوسط طبعة 2018، يتضمن 33 خطأً.شدد رئيس تحالف الاصلاح والاعمار عمار الحكيم ورئيس ائتلاف دولة القانون نوري المالكي، الاحد، على ضرورة استكمال الكابينة الوزارية، فيما اتفقا على ضرورة ابعاد العراق عن سياسة المحاور.

وقال مكتب الحكيم في بيان تلقت، السومرية نيوز، نسخة منه، إن "الحكيم استقبل بمكتبه اليوم رئيس ائتلاف دولة القانون، وجرى خلال اللقاء بحث المستجدات بالشأن السياسي واستكمال الكابينة الحكومية ومأسسة التحالفين الكبيرين".

واضاف المكتب، أن"الجانبين شددا على ضرورة استكمال الكابينة الحكومية ليتسنى لها تنفيذ برنامجها الحكومي، كما شددوا على ضرورة اقرار التشريعات اللازمة التي تمكن من تقديم الخدمات ومكافحة الفساد وتوفر فرص العمل".

كما شدد الحكيم على "ضرورة مأسسة التحالفات الكبيرة الاصلاح والاعمار وتحالف البناء"، مبينا ان "المأسسة ضرورية لاستقرار النظام السياسي".

وبشأن علاقة العراق بمحيطه الاقليمي، اتفق الجانبان على ضرورة ابعاد العراق عن سياسة المحاور والانطلاق في العلاقات من نقطة المصالح المشتركة ومصلحة الجميع.

Wednesday, November 14, 2018

राष्ट्रवाद के नाम पर फैलायी जा रही है फ़ेक न्यूज़

बिनी बंसल को बैक रूम मास्टर माइंड माना जाता है. लंबे समय तक वह मीडिया से भी दूर रहे हैं. अमूमन सचिन बंसल ही मीडिया को डील किया करते थे.
बिनी कंपनी में पीछे रहकर काम करते रहे और सचिन उसके लीडर के तौर पर सामने रहे. मीडिया में ये भी ख़बरें थीं कि ​फ़्लिपकार्ट छोड़ने को लेकर सचिन बंसल ज़्यादा खुश नहीं थे. इकोनॉमिक्स टाइम्स ने लिखा है कि कंपनी दो सीईओ को नहीं रखना चाहती थी.
वहीं, सचिन बंसल के जाने पर बिनी बंसल ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा था, ''हमने जिस तरह यह सफ़र शुरू किया वह अद्भुत था. पिछले 10 साल में जिस चीज़ ने हमें साथ रखा है वो है एक जैसे मूल्य और ये सुनिश्चित करना कि ग्राहकों के साथ सब कुछ सही हो.''
वॉलमार्ट को बेचे गए बिनी बंसल के हिस्से की कीमत करीब 700 करोड़ थी और अब भी कंपनी में बचे हुए हिस्से की कीमत 88 करोड़ 10 लाख डॉलर है.
फिलहाल, बिनी बंसल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्होंने कहा है कि वो ​फ़्लिपकार्ट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बने रहेंगे.
बिनी की जगह कल्याण कृष्णमूर्ति ग्रुप के नए सीईओ होंगे.
संभव है कि आपको भी कभी ऐसा व्हाट्सएप्प मैसेज मिला हो कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को दुनिया का सबसे बेहतरीन ध्वज घोषित किया जा चुका है. या भारत की करेंसी को यूनेस्को ने सर्वश्रेष्ठ घोषित किया है या आपका धर्म ख़तरे में है और उसे बचाने की ज़रूरत है.
अक्सर इस तरह के मैसेज मिलने पर हम उन्हें बिना जांचे परखे आगे फ़ॉर्वर्ड कर देते हैं और जाने-अनजाने फ़ेक न्यूज़ के मायाजाल में फंस जाते हैं.
फ़ेक न्यूज़ की समस्या से इस समय पूरी दुनिया परेशान है, इसी सिलसिले में बीबीसी ने एक रिसर्च जारी की है जिसके ज़रिए यह बात सामने आई कि लोग राष्ट्र निर्माण की भावना से राष्ट्रवादी संदेशों वाली फ़ेक न्यूज़ को साझा कर देते हैं.
बीबीसी ने अपनी रिसर्च में पाया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर हैंडल जितने अकाउंट को फ़ॉलो करता है उनमें से क़रीब 56 प्रतिशत वैरिफ़ाइड नहीं हैं. इन बिना वैरिफ़िकेशन वाले अकाउंट से 61 प्रतिशत बीजेपी का प्रचार होता है.
इस रिसर्च के बारे में बीजेपी प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं, "इस बात में कोई संदेह ही नहीं है कि फ़ेक न्यूज़ एक बहुत बड़ी चुनौती है. चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि चुनाव आने वाले हैं. 2019 के चुनावों के लिए अभी से बहुत से लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं, जिनका काम ही फ़ेक न्यूज़ फैलाना है."
हालांकि, गोपाल कृष्ण अग्रवाल ये भी कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं, विपक्ष के लोग कुछ भी बोलने और पोस्ट करने लग जाते हैं ताकि सरकार उनका जवाब देती फिरे.
वो कहते हैं, "कभी कोई गौ-रक्षा के नाम पर फ़ेक न्यूज़ फैला देता है तो कभी दलितों के नाम पर."
पर वो ये भी मानते हैं कि फ़ेक न्यूज़ न फैले ये सिर्फ़ सरकार के ही नहीं, सभी के हित में है. लेकिन इसे कंट्रोल कर पाना थोड़ा मुश्किल है.

Wednesday, September 26, 2018

कोई चेहरा दिलकश तो कोई बदसूरत क्यों लगता है?

तो, इसका जवाब हर इंसान के साथ बदलता जाएगा. कहावत भी है कि ख़ूबसूरती देखने वालों की आंखों में होती है.
हर इंसान और हर दौर के साथ ख़ूबसूरती के पैमाने बदलते रहे हैं. एक दौर था जब क्लीन शेव्ड लुक चलन में था. आज हर दूसरा शख़्स दाढ़ी बढ़ाए हुए नज़र आता है.
ज़्यादा पुरानी बात नहीं है जब महिलाओं को साइज़ ज़ीरो के पैमाने पर कस कर उनकी ख़ूबसूरती को मापा जाता था. आज हम उस दौर से आगे निकल आए हैं.
ख़ूबसूरती के इन बदलते पैमानों की वजह इंसान के विकास की प्रक्रिया है. लाखों बरस की विकास प्रक्रिया से गुज़रते हुए, ख़ूबसूरती को लेकर इंसान के पैमाने बदलते रहे हैं.
अब सुंदरता के पैमाने तय करने में क़ुदरती प्रक्रिया के साथ मीडिया और फ़ैशन इंडस्ट्री का रोल भी बढ़ गया है.
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कैरे बिज़नेस स्कूल में अस्टिटेंट प्रोफ़ेसर हैयांग यांग कहते हैं कि, "ख़ूबसूरती आज भी देखने वालों की आंखों में ही बसती है, मगर इस देखने वाले की निगाह बड़ी तेज़ी से बदल रही है."
हैयांग यांग एक दिलचस्प रिसर्च में शामिल रहे हैं. इस रिसर्च के मुताबिक़ सुंदरता को लेकर हमारी सोच पर दूसरों की राय का भी असर पड़ता है.
हैयांग यांग कहते हैं कि, ''इंटरनेट युग आने के बाद से लोगों की नज़र में सुंदरता के पैमाने बड़ी तेज़ी से बदल जा रहे हैं. इंसान के इतिहास में ख़ूबसूरती के पैमाने इतनी जल्दी-जल्दी कभी नहीं बदले.''
सोशल मीडिया और इंटरनेट से लगातार जुड़े होने की वजह से हम दिन भर में तमाम तस्वीरें देख डालते हैं.
टीवी पर, मोबाइल पर, लैपटॉप और कंप्यूटर पर, विज्ञापनों में, तस्वीरों की भरमार होती है. हर दूसरे चेहरे को देखते ही ख़ूबसूरती का हमारा पैमाना बदल जाता है.
तमाम डेटिंग वेबसाइट और डेटिंप ऐप, इस रफ़्तार को और तेज़ कर रहे हैं.
सिडनी यूनिवर्सिटी ने कुछ युवतियों पर रिसर्च की. इन लड़कियों को 60 मर्दों की तस्वीरें दिखाई गईं. हर तस्वीर को स्क्रीन पर एक सेकेंड के एक तिहाई से भी कम वक़्त तक दिखाया गया.
युवतियों ने हर अगली तस्वीर को पिछली से बेहतर बताया, उसे ज़्यादा दिलकश पाया या पिछली के मुक़ाबले कम ख़ूबसूरत पाया.
इसी रिसर्च में युवतियों को 242 महिलाओं की तस्वीरें दिखाई गईं. रिसर्च में शामिल युवतियों ने हर अगली तस्वीर को पिछली के मुक़ाबले या तो ज़्यादा ख़ूबसूरत बताया, या पिछली के मुक़ाबले ज़्यादा बदसूरत. यानी हर चेहरे के साथ ख़ूबसूरती के पैमाने बदलते गए.
इस रिसर्च की अगुवा रही जेसिका टॉबर्ट कहती हैं कि, ''हमारा ज़हन आंखों के ज़रिए मिल रही हर जानकारी को समझ कर उस पर सही फ़ैसला नहीं दे पाता. नतीजा ये कि वो शॉर्टकट तलाश लेता है. यही वजह है कि हमारा दिमाग़ पिछली तस्वीर के पैमाने पर अगली को कसता है. उससे पहले की तस्वीरें ज़हन में पूरी तरह से पैबस्त नहीं हो पाती हैं.''
वैज्ञानिक भाषा में इसे 'क्रमबद्ध निर्भरता' कहते हैं. आप अगर किसी कॉफी के मग को देखकर आंखें फेरते हैं और कुछ पलों बाद फिर से उस पर नज़र डालते हैं, तो आप को उम्मीद होती है कि वो मग वहीं रखा होगा.
ऑनलाइन डेटिंग ऐप पर लगातार तस्वीरें देखने पर यही होता है. हर बदलती तस्वीर के साथ ज़हन को नई जानकारी मिलती है. इस जानकारी को हमारा दिमाग़ ठीक से प्रॉसेस नहीं कर पाता. नतीजा ये कि पिछली तस्वीर को ज़हन ने जो समझा होता है, वही पैमाना अगली तस्वीर पर लागू कर देता है.
अमरीका की अज़ुसा पैसिफिक यूनिवर्सिटी की टेरीज़ा पेगोर्स कहती हैं कि, ''हमारा दिमाग़ आस-पास दिख रही चीज़ों के हिसाब से फ़ौरन ख़ुद को ढाल लेता है. मगर, आज जितनी तेज़ी से माहौल बदल जाता है, हमारा दिमाग़ ख़ुद को उतनी तेज़ी से नहीं ढाल पाता. नतीजा ये कि ख़ूबसूरती का पैमाना बड़ी तेज़ी से बदल जाता है. इसका एक नतीजा ये भी है कि आज हम एक साथी के साथ संतुष्ट नहीं रह पाते हैं.''
अगर आप असल ज़िंदगी के मुक़ाबले ऑनलाइन दुनिया में लोगों को ज़्यादा पसंद करते हैं, तो इसकी बड़ी वजह ये है कि आप ज़्यादा तस्वीरें देखते हैं, मगर बहुत कम वक़्त के लिए.
रिसर्च से ये पता चला है कि जब हम किसी की एक झलक भर पाते हैं, तो उसके प्रति ज़्यादा आकर्षित महसूस करते हैं. उसी चेहरे को लंबे वक़्त तक देखने पर वो दिलकशी नहीं महसूस होती.
इंसान जब किसी को देखता है, तो संभावित साथी तलाशता है. अब अगर महज़ एक झलक मिली है, तो उसके प्रति आकर्षण वाजिब है. क्योंकि हमारा ज़हन उसमें उम्मीद देखता है, एक साथी बना पाने की.
स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के डेविड ईगलमैन सलाह देते हैं कि, 'अगर आप किसी को ग़लती से ज़्यादा आकर्षक पाते हैं, तो आप उस पर दूसरी निगाह ज़रूर डालें. इससे आप फ़ौरन अपनी ग़लती सुधार सकते हैं.'
लेकिन ईगलमैन आगाह करते हैं, ''हो सकता है कि पहली नज़र में कोई आप को उतना ख़ूबसूरत नज़र न आए और आप दोबारा उस पर नज़र न डालें, तो आप एक संभावित साथी को खोने का जोखिम ले रहे हैं.''
ऑनलाइन डेटिंग साइट पर अक्सर ऐसा होता है, जब आप बड़ी तेज़ी से स्वाइप करके अगली तस्वीर की तरफ़ बढ़ जाते हैं.
ईगलमैन कहते हैं कि हम जितनी तेज़ी से डेटिंग ऐप पर तस्वीरें बदलते हैं, हमारा ज़हन उतनी तेज़ी से कोई राय क़ायम नहीं कर पाता.
हमें ये बात पहले से ही मालूम है कि कई मामलों में हमारे ख़यालात हमारे मूड, माहौल और आस-पास के लोगों की राय से प्रभावित होते हैं.
लेकिन, जब भी हम नए साथी की तलाश में होते हैं, तो हमारे पास बहुत ज़्यादा जानकारी होती है. और इस जानकारी से किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए वक़्त बहुत कम होता है. इसीलिए ख़ूबसूरती या बदसूरती को लेकर हमारे पैमाने बड़ी तेज़ी से बदल जाते हैं.
पेगोर्स कहती हैं कि इसका बड़ा फ़ायदा भी है, ''हर चेहरे के साथ ख़ूबसूरती को लेकर हमारा ख़याल बदल जाता है. यानी हम जो देखते हैं उस हिसाब से ख़ूबसूरती के पैमाने को लगातार बदल सकते हैं. हम किसी एक सोच या नुस्खे पर ही नहीं टिके रहते हैं. हमारे पास कम तस्वीरें देखकर फ़ैसला करने का विकल्प खुला होता है.''
इसके लिए ज़रूरत सिर्फ़ इस बात की होगी कि आप डेटिंग ऐप से लॉग आउट करें. मगर, ये करना, कहने से बहुत ज़्यादा मुश्किल काम है.

Thursday, September 6, 2018

किस देश के पास है हैकर्स की सबसे बड़ी सेना?

इस साल अगस्त महीने में हर साल की तरह, अमरीका के लास वेगस में एक ख़ास मेला लगा. ये मेला था, हैकर्स का. जिसमें साइबर एक्सपर्ट से लेकर बच्चों तक, हर उम्र के लोग हैकिंग का हुनर दिखा रहे थे.
लास वेगस में हर साल हैकर्स जमा होते हैं. इनके हुनर की निगरानी करके अमरीका के साइबर एक्सपर्ट ये समझते हैं कि हैकर्स का दिमाग़ कैसे काम करता है. वो कैसे बड़ा ऑपरेशन चलाते हैं.
जिस वक़्त हैकर्स का ये मेला लास वेगस में लगा था, ठीक उसी वक़्त हैकर्स ने एक भारतीय बैंक पर साइबर अटैक करके क़रीब 3 करोड़ डॉलर की रक़म उड़ा ली. दुनिया भर में हर वक़्त सरकारी वेबसाइट से लेकर बड़ी निजी कंपनियों और आम लोगों पर साइबर अटैक होते रहते हैं.
बीबीसी की रेडियो सिरीज़ द इन्क्वायरी में हेलेना मेरीमैन ने इस बार इसी सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की. उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से हैकर्स की ख़तरनाक और रहस्यमयी दुनिया में झांकने की कोशिश की.
1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में बहुत से एक्सपर्ट अचानक बेरोज़गार हो गए.
ये इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर थे और गणितज्ञ थे. रोज़ी कमाने के लिए इन्होंने इंटरनेट की दुनिया खंगालनी शुरू की. उस वक़्त साइबर सिक्योरिटी को लेकर बहुत ज़्यादा संवेदनशीलता नहीं थी और न जानकारी थी.
इन रूसी एक्सपर्ट ने हैकिंग के साम्राज्य की बुनियाद रखी. इन रूसी हैकरों ने बैंकों, वित्तीय संस्थानों, दूसरे देशों की सरकारी वेबसाइट को निशाना बनाना शुरू किया. अपनी कामयाबी के क़िस्से ये अख़बारों और पत्रिकाओं को बताते थे.
रूस के खोजी पत्रकार आंद्रेई शोश्निकॉफ़ बताते हैं कि उस दौर में हैकर्स ख़ुद को हीरो समझते थे. उस दौर में रूस में हैकर्स नाम की एक पत्रिका भी छपती थी.
आंद्रेई बताते हैं कि उस दौर के हर बड़े रूसी हैकर का ताल्लुक़ हैकर पत्रिका से था. रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़एसबी को इन हैकर्स के बारे में मालूम था.
मगर ताज्जुब की बात ये थी कि रूस की सरकार को इन हैकर्स की करतूतों से कोई नाराज़गी नहीं थी बल्कि वो तो इन हैकर्स का फ़ायदा उठाना चाहते थे.
रूसी पत्रकार आंद्रेई शॉश्निकॉफ़ बताते हैं कि एफ़एसबी के चीफ़ निजी तौर पर कई रूसी हैकर्स को जानते थे.
2007 में रूसी हैकर्स ने पड़ोसी देश एस्टोनिया पर बड़ा साइबर हमला किया. इन हैकर्स ने एस्टोनिया की सैकड़ों वेबसाइट को हैक कर लिया. ऐसा उन्होंने रूस की सरकार के इशारे पर किया था.
अगले ही साल रूसी हैकर्स ने एक और पड़ोसी देश जॉर्जिया की तमाम सरकारी वेबसाइट को साइबर अटैक से तबाह कर दिया.
रूसी पत्रकार आंद्रेई बताते हैं कि 2008 में जॉर्जिया पर हुआ साइबर हमला रूस के सरकारी हैकर्स ने किया था. ये रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी के कर्मचारी थे.
रूस की सरकार को लगा कि वो फ्रीलांस हैकर्स पर बहुत भरोसा नहीं कर सकते. इससे बेहतर तो ये होगा कि वो अपनी हैकर आर्मी तैयार करें. रूसी हैकर्स की इसी साइबर सेना ने जॉर्जिया पर 2008 में हमला किया था.
आज की तारीख़ में रूस के पास सबसे ताक़तवर साइबर सेना है.
रूसी हैकर्स पर आरोप है कि उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में दख़लंदाज़ी की. उन्होंने व्हाइट हाउस पर साइबर हमला किया. नैटो और पश्चिमी देशों के मीडिया नेटवर्क भी रूसी हैकर्स के निशाने पर रहे हैं.
रूस से हुए साइबर हमले में एक ख़ास ग्रुप का नाम कई बार आया है. इसका नाम है-फ़ैंसी बियर. माना जाता है कि हैकर्स के इस ग्रुप को रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस चलाती है. हैकरों के इसी ग्रुप पर आरोप है कि इसने पिछले अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में दख़लंदाज़ी की थी.
रूसी पत्रकार आंद्रेई शोश्निकॉफ़ कहते हैं कि इन साइबर हमलों के ज़रिए रूस दुनिया को ये बताना चाहता है कि वो साइबर साम्राज्य का बादशाह है.
90 के दशक में हॉलीवुड फ़िल्म मैट्रिक्स से प्रभावित होकर जिन रूसी साइबर इंजीनियरों ने हैकिंग के साम्राज्य की बुनियाद रखी थी, वो आज ख़ूब फल-फूल रहा है. आज बहुत से हैकर रूस की सरकार के लिए काम करते हैं.
मगर, हैकिंग के इस खेल में रूस अकेला नहीं है.
ईरान भी हैकिंग की दुनिया का एक बड़ा खिलाड़ी है. 1990 के दशक में इंटरनेट के आने के साथ ही ईरान ने अपने यहां के लोगों को साइबर हमलों के लिए तैयार करना शुरू कर दिया था.
ईरान जैसे देशों में सोशल मीडिया, सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का बड़ा मंच होते हैं. सरकार इनकी निगरानी करती है. ईरान में हैकर्स का इस्तेमाल वहां की सरकार अपने ख़िलाफ़ बोलने वालों का मुंह बंद करने के लिए करती है.
2009 में जब ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज़ हो रहे थे. तब ईरान के सरकारी हैकर्स ने तमाम सोशल मीडिया अकाउंट हैक करके ये पता लगाया कि आख़िर इन आंदोलनों के पीछे कौन है. उन लोगों की शिनाख़्त होने के बाद उन्हें डराया-धमकाया और जेल में डाल दिया गया.
यानी साइबर दुनिया की ताक़त से ईरान की सरकार ने अपने ख़िलाफ़ तेज़ हो रहे बग़ावती सुर को शांत कर दिया था.
ईरान के पास रूस जैसी ताक़त वाली साइबर सेना तो नहीं है, मगर ये ट्विटर जैसे सोशल मीडिया को परेशान करने का माद्दा ज़रूर रखती है. जानकार बताते हैं कि ईरान की साइबर सेना को वहां के मशहूर रिवोल्यूशनरी गार्ड्स चलाते हैं.
ईरान में दुनिया के एक से एक क़ाबिल इंजीनियर और वैज्ञानिक तैयार होते हैं. दिक़्क़त ये है कि इनमें से ज़्यादातर पढ़ाई पूरी करने के बाद अमरीका या दूसरे पश्चिमी देशों का रुख़ करते हैं. तो, ईरान की साइबर सेना को बचे-खुचे लोगों से ही काम चलाना पड़ता है.
अमरीकी थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट के लिए काम करने वाले करीम कहते हैं कि ईरान तीसरे दर्जे की साइबर पावर है. अमरीका, रूस, चीन और इज़राइल, साइबर ताक़त के मामले में पहले पायदान पर आते हैं. यूरोपीय देशों की साइबर सेनाएं दूसरे नंबर पर आती हैं.
ईरान अक्सर साइबर हमलों के निशाने पर रहता है. ख़ास तौर से अमरीका और इसराइल से. 2012 में ईरान के तेल उद्योग पर हुए साइबर हमलों में उसके सिस्टम की हार्ड ड्राइव से डेटा उड़ा दिए गए थे. ईरान पर इस साइबर हमले के पीछे अमरीका या इसराइल का हाथ होने की आशंका थी.
ईरान ने इसी हमले से सबक़ लेते हुए तीन महीने बाद अपने दुश्मन सऊदी अरब पर बड़ा साइबर हमला किया. इस हमले में ईरान के हैकर्स ने सऊदी अरब के तीस हज़ार कंप्यूटरों के डेटा उड़ा दिए थे.
आज हैकर्स ने अपने साम्राज्य को पूरी दुनिया में फैला लिया है. कमोबेश हर देश में हैकर मौजूद हैं. कहीं वो सरकार के लिए काम करते हैं, तो कहीं सरकार के ख़िलाफ़.

Wednesday, September 5, 2018

中外对话培训气候变化报道记者

联合国气候变化谈判会议首次来到了中国。气候变化《京都议定书》特别工作组第14次会议和长期合作行动特别工作组第12次会议即将于201094-9日在中国天津召开。
9月27日,中外对话在 ,全球气候活动)和绿色和平的支持下,在北京组织了“气候变化天津会议媒体工作坊”。主持培训的中外对话副总编刘鉴强说:“中外对话的使命之一就是帮助中国记者更好地报道气候变化和环境议题。

工作坊面向报道天津气候变化谈判会议或将在年底报道墨西哥COP16会议的记者朋友。“这次工作坊对我们做天津气候变化会议的报道非常及时。”来自《中国经济时报》的记者张焱说。

世界自然基金会( )全球气候项目中国协调员昂莉、绿色和平气候变化与能源项目主任李雁、能源研究所姜克隽主任为记者回顾了哥本哈根之后气候变化谈判的进展和形势,以及对天津会议甚至坎昆会议的实用提示与预测。姜克隽希望中国媒体能够冷静分析和揭示中国节能减排行动中的真相,他提到廊坊作为一个规划低碳未来的城市,其规划反而鼓励了机动车的使用,它的人均机动车占用率甚至高于北京。记者们没有发现,众多中小型城市正是仿照着大城市过去例子,重复高碳式的发展。

多次报道联合国气候变化会议的《新世纪》周刊资深记者李虎军、曹海丽,英国《卫报》驻亚洲环境记者华衷分享了报道经验。《南方周末》记者冯洁和《21世纪经济报道》记者陆振华也分享了他们的想法。

有超过40名记者参加了这次工作坊,目前这些记者中的大部分已经身在天津会场,开始报道新一轮的气候变化谈判。昨天,一个新组织在荷兰落成,即从雅加达到旧金山湾的三角洲城市联合组成的全球合作网络,这些城市将共同努力以寻求方法面对气候变化带来的挑战。

三角洲联盟旨在推动世界低洼三角洲地区的发展弹性,世界上大半人口居住在这些极易受海平面上升、海水入侵和地面塌陷等影响的地区。

联盟总部设在荷兰,并在印尼、加州和越南设有活动中心,皆在应付气候问题。拥有8.5亿人口和13条河流的雅加达,其地面正在以10厘米每年的速度下沉。而荷兰港口城市鹿特丹预计在2050年会因海平面上升而其遭遇洪水冲击的可能性将提高10倍。

在鹿特丹国际适应会议的联盟启动仪式上,联盟主席Kees  称该组织将努力做出实质成绩,而非只停留于空谈上。

他说:“交谈是必须的,因为我们需要沟通理解,但我们也将向世界表明,国际组织并非空谈,而是可以做出实际方案的。”

该联盟的活动将包括联合研究和示范项目,也会开展各种座谈会和研习会。

  说,除四个核心合作伙伴外,其他一些国家,包括中国,已经加入了联盟,而联盟也有计划于近期内进行扩展。

世界自然基金会中国上海项目组的任文伟在开幕式上提到了加入该联盟对中国的重要价值。他说:“以长江三角洲为例,长三角在中国经济发展中扮演着重要角色,同时对生态系统也起着重要作用,但有时经济发展和环境保护会相互冲突,因此我们希望向其他三角洲学习如何改善管理以及从不同的利益相关者中学习。

Monday, September 3, 2018

里约之后,拯救地球路在何方?

如果新的政府报告数据准确,那么英国政府在教育能源消费者如何降低能耗和提高效能方面并不成功。此报告指出,每年英国插电却未使用或处于待机状态的电脑、电视机及其它家电上的电费高达十三亿英镑,这一笔开销约占消费者能源账单、金钱和用电浪费的16%。
报告还显示,在英国,电视机每天的开机时长超过六小时,超出以往预计的五小时,这样下来,总计每年每户看电视的时间增加了约400小时,相当于全国每年额外增加一百多亿个小时,产生高达两亿零五百万英镑的额外开销。
此项调查首次通过造访251户英国家庭,并对其能源使用进行实地监控,对家庭所使用的家电种类及使用时长作出了详尽扼要的描述。调查结果强调一个事实,即消费者使用和浪费的能源多于之前的预计值。这也意味着,通过使用更明显的能效标签及更清楚地理解消费行为如何能节省开支,可能改善当前的能耗状况
上周在里约热内卢举行的地球峰会于周五蹒跚落幕,会后各方的评价赋予了“荒凉”一词新的含义。谈到对这一广受批评的可持续发展大会的评价,各非政府组织的语言大师们展开了精彩的博弈。
以下是一些例子:
绿色和平:“三天来,我们看到的只是各国领导人空洞的言辞以及漂绿行为。这次峰会将以‘漂绿+20’的名义载入史册……里约+20已经成了历史性的失败。”
公海联盟:“里约+20比一般的刺胞动物(水母)还缺少‘骨气’。”
牛津饥荒救济委员会:“里约+20将会被看做是一场骗局峰会。他们来了,他们谈了,但他们却未能行动起来。”
国际气候行动网络:“此次峰会将不仅仅作为一次失败被记入史册,那些签署了它的‘死亡令’的领导人更是是建筑毁灭师。”
基督教互援会:“环境的破坏和人类的痛苦这场大火正在全球蔓延,但是在里约峰会上,最有强权的领导人们却并不急于灭火。相反,他们却在寻求狭隘的私利、技术交涉以及不厌其烦的周旋,希冀让公众相信他们创造了奇迹。”
行动救援会:“里约+20是一次惨败,它使我们退回到了20年前。从一开始就注定,峰会的成果文件毫无实质意义,不可能为穷人创造一个更美好的世界。”
世界发展运动组织:“里约+20产生的文件十分可悲,毫无雄心壮志,缺乏实质的承诺,还充斥着一堆外交上的胡言乱语和模棱两可的措辞。这对于我们解决当前面临的多重危机没有任何意义。”
地球之友:“虽然世界各国领导人对日渐逼近的全球衰退浪潮做出了回应,但他们只是在逃避现实。由于严重缺乏雄心、紧迫感和政治意愿,这些会谈完全被破坏了,一些软弱的政治家甚至不敢采取任何更艰苦的行动。”
国际绿十字组织:“这一成果文件十分缺乏具体行动。里约+20对世界来说代表了一种独特的可能性,但这一零结果草案似乎已经演变成了零结果宣言。”
世界自然基金会:“我们目前所取得的只是他们认为在政治上可实现的协议,而我们真正需要的协议应当能够解决科学上必须做的事情。这对于拯救地球来说是行不通的!”

Saturday, September 1, 2018

“运动式”环境治理对企业不负责任

近日,广西贺江铊镉水污染事件,正在引发下游广东省对于用水的担忧。据中国新闻网报导,污染源基本锁定为上游沿岸冶炼、选矿企业,当地政府已将112家沿岸的非法采矿企业关停并进行取样。贺州市副市长闭海东指出,政府早前已对相关企业进行多次整治,但屡禁不止。

强制性关停污染企业,是地方政府应对公众投诉及突发污染事件时的常用手段。

北京市在2012年年关停了200家“两高”企业(高污染、高耗能行业企业),今年计划再关停200余家;山西太原在今年上半年已关停了118家环境违法企业。被关停企业集中在建材、化工、铸造、电镀等行业。这些行业的确是污染和排放的常见主体,集中关停对短期内的环境改善具有正面作用。

但中国环境科学学会副理事长、环保部原总工程师杨朝飞认为,单纯利用行政措施关停污染企业并未能有效解决环境问题,如何帮助企业顺利退出或转行才是关键。

杨朝飞对中外对话说,“在民众的怨声下,很多时候,政府在关停企业之前根本没有考虑到企业的实际情况,比如是否经过政府审批的合法企业,企业自身的投资等。”

当企业违反环保法规后,是否应当允许其继续经营,这并不是一个简单的问题。许多企业处于政策前后不一和自相矛盾的困境,一些行业因得到地方性政策鼓励而大为兴起,但随后政府却缺乏有效的环境监督,企业最后不得不面临被迫关停的窘境。

去年山东省一环保局副局长被袭击事件,便是企业走投无路的典型例子。行凶者曾经营一家非法炼铁作坊,一年前被当地环保局副局长带队查封,作坊被关一年后,他闯入副局长办公室连刺6刀后逃离,副局长重伤。该商户在法庭上说:“他不让我活,我也不让他活了。”

杨朝飞说,环境需要得到保护,但投资者的利益也不能被漠视。对于污染企业的管理,无论合法非法,政府都应付起责任,“地方政府不能开始时为了抓GDP,鼓励企业上马后,又因为污染事件爆发,要求企业一晚关停。”

他提议,政府应该制定污染企业淘汰计划,调查企业背景,并与问题企业的业主面谈,商议解决方案。对于有条件升级或转行的企业,政府应该提供技术帮助及相关的优惠政策。

如果必须关停,应提前通知业主,并得到其同意;对于合法企业,政府应该按职工、土地和设备给予赔偿;即便是非法企业,也应该给予时间作退出的准备。

虽然污染企业被关停是否应该得到补偿这一观点值得商榷,但企业建设要与当地产业发展相结合无疑是至关重要的。2013年大连市东港区即将完成的石材加工企业整体搬迁计划,恰是这一思路的体现。这里的石材企业普遍规模小、环境污染较重,特别是其聚集区紧邻市区主水源地——日照水库,对水源地存在污染隐患。区政府通过跟当地石材企业的座谈会,成功说服全区190家企业签订转产、转业或自行关停协议;针对无能力转移的商户,区政府拨款2800万元作为补助。

Tuesday, August 28, 2018

中国面临严重的气候变化危机

据新华社周日报道,中国高级官员就气候变化发出严正警告,称气温不断上升将对中国的粮食供应和供水产生“巨大影响”。

中国气象局局长郑国光发表致辞称:全球气温上升将会减少农作物产量、加快“生态退化”,并导致河流径流量变化不稳定。

“随着全球变暖,中国所面临的气候变化和气候灾害的风险可能会更加严重。”郑国光说道。

郑国光指出,在过去的一个世纪里,中国气温上升的幅度较全球平均温升更为极端。

郑国光认为气候变化已经给包括中国最大的水力发电站三峡大坝工程、南水北调工程以及青藏铁路工程在内的几个主要基础设施工程造成了“严重威胁”。

郑国光呼吁中国走“低碳发展之路”,但同时他也称风能和太阳能资源的开发和利用受到了“制约”。

郑国光此番致辞恰逢中国等排放大国正在筹备发布国家自定贡献预案。 预案中概述了各国的减排目标和应对气候变化的措施。

各国将在未来几个月内向联合国提交自己的国家自定贡献预案,从而为年底在巴黎举行的气候峰会奠定基础。各国有望能够在巴黎峰会上达成全面协议,减少温室气体的排放。

虽然一些国际媒体称,郑国光局长的致辞罕见地承认了气候变化对中国的威胁。但在其之前,前任气象局局长秦大河曾在八年前就发出过类似的警告。

去年,联合国政府间气候变化委员会( )称,中国面临的气候变化问题会导致多重危机,并可能产生灾难性影响,包括上海等沿海大城市将遭受大面积洪涝灾害、作物产量下降以及永冻土融化等影响,而这些都会危害水资源供给。

中国资深气象学家郑国光发表此番致辞后不久,联合国发布了2014世界气候报告。

世界气象组织( )称,海洋温度、地表高温、以及灾难性的洪涝灾害均是去年全球气候问题的显著特征。

Friday, August 17, 2018

केरल: बाढ़ से मरने वालों की संख्या 324 हुई

केरल सरकार के अनुसार, बाढ़ की वजह से हुए हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 324 हो गई है.
केरल के कासरगोड को छोड़कर राज्य के सभी ज़िलों में बाढ़ के कारण 'रेड अलर्ट' जारी किया गया है.
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में केरल में मूसलाधार बारिश होने के कारण बाढ़ प्रभावित 13 ज़िलों में स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि, "हमने बचाव कार्य को तेज़ कर दिया है. बहुत सारे लोग सीएम ऑफ़िस को उन जगहों की सूचना दे रहे हैं जहाँ लोग फंसे हुए हैं."
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, केरल में बनाये गए पाँच सौ से ज़्यादा राहत शिविरों में अब तक क़रीब दो लाख से ज़्यादा लोग पहुँच चुके हैं.
केरल में बाढ़ की वजह से जो इलाक़े सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं वो पश्चिमी घाट के 'इकोलॉजिकल सेंसिटिव ज़ोन' के अंतर्गत आते हैं. स्थानीय मीडिया के अनुसार, कोच्चि, त्रिवेंद्रम, इडुक्की, पलक्कड और वायनाड ज़िले में हालात सबसे ज़्यादा ख़राब हैं.
नेशनल डिज़ास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स (एनडीआरएफ़) की छह टीमें दिल्ली और छह टीमें अहमदाबाद से केरल भेजी गई हैं. एनडीआरएफ़ की 18 टीमें केरल के 7 ज़िलों में पहले से तैनात हैं.
एनडीआरएफ़ के महानिदेशक संजय कुमार ने मीडिया को बताया है, "हम केरल सरकार के साथ मिलकर बचाव कार्य कर रहे हैं. केरल में अगर और टीमों की ज़रूरत होगी तो हम भेजेंगे. केरल में हालात काफ़ी चुनौतीपूर्ण हैं."
भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने ट्वीट किया है, "ऑपरेशन मदद के तहत केरल के सभी ज़िला मुख्यालयों पर हमने एक हेलीकॉप्टर तैनात करके का फ़ैसला किया है. इस बारे में भारतीय वायु सेना को ज़रूरी निर्देश दे दिये गए हैं. मौसम ने साथ दिया तो आज रात तक ये हेलीकॉप्टर बचाव कार्य के लिए केरल पहुँच जायेंगे."
उन्होंने बताया कि भारतीय आर्मी ने बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में 18 जगहों पर रास्ते बहाल किये हैं और 11 जगहों पर अस्थायी पुल बनाये हैं ताकि फंसे हुए लोगों तक मेडिकल मदद पहुँच सके.
केरल सरकार ने रक्षा मंत्रालय से बचाव कार्य के लिए 600 मोटरबोट भी मांगी हैं.
शुक्रवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट किया, "आप हमें वक़्त और तारीख़ के साथ अपनी सही लोकेशन, ज़िले का नाम और फ़ोन नंबर भेजें. हम उन तक मदद पहुँचाने की कोशिश करेंगे."
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का कहना है कि पिछले 100 सालों में राज्य ने कभी भी इस तरह के बाढ़ का सामना नहीं किया है.
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "इससे पहले केरल ने कभी भी इस तरह की स्थिति नहीं देखी."
मानसून में हर साल केरल में देश के कुछ राज्यों की तुलना में ज़्यादा बारिश होती है लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि इस बार हुई बारिश औसत से 37 फ़ीसदी ज़्यादा है. चिंता की बात ये है कि आने वाले दिनों में भी तेज़ बारिश का प्रकोप जारी रहने की आशंका है.
इसके बाद काफ़ी सारे लोगों ने अपनी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की है और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों से बाढ़ राहत कोष में मदद भेजने का आग्रह किया था. उन्होंने ट्विटर पर एक बयान जारी कर लोगों से मदद मांगी थी.
केरल में आई इस बाढ़ को 94 साल की 'सबसे बड़ी बाढ़' कहा जा रहा है.
राज्य के विभिन्न हिस्सों में बिजली आपूर्ति, संचार प्रणाली और पेयजल आपूर्ति बाधित है.
यहाँ ट्रेन सेवाएं बाधित हैं और सड़क परिवहन सेवाएं भी अस्त-व्यस्त हैं. जगह-जगह सड़कें पानी में डूब गई हैं.
अधिकारियों के अनुसार, कासरगोड़ को छोड़कर बाकी सभी ज़िलों में शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी की घोषणा कर दी गई है. कॉलेजों और महाविद्यालयों ने परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं.
कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पूरी तरह से पानी में डूब गया है और इसे 26 अगस्त तक बंद रखने के आदेश दिये गए हैं.