Wednesday, November 14, 2018

राष्ट्रवाद के नाम पर फैलायी जा रही है फ़ेक न्यूज़

बिनी बंसल को बैक रूम मास्टर माइंड माना जाता है. लंबे समय तक वह मीडिया से भी दूर रहे हैं. अमूमन सचिन बंसल ही मीडिया को डील किया करते थे.
बिनी कंपनी में पीछे रहकर काम करते रहे और सचिन उसके लीडर के तौर पर सामने रहे. मीडिया में ये भी ख़बरें थीं कि ​फ़्लिपकार्ट छोड़ने को लेकर सचिन बंसल ज़्यादा खुश नहीं थे. इकोनॉमिक्स टाइम्स ने लिखा है कि कंपनी दो सीईओ को नहीं रखना चाहती थी.
वहीं, सचिन बंसल के जाने पर बिनी बंसल ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा था, ''हमने जिस तरह यह सफ़र शुरू किया वह अद्भुत था. पिछले 10 साल में जिस चीज़ ने हमें साथ रखा है वो है एक जैसे मूल्य और ये सुनिश्चित करना कि ग्राहकों के साथ सब कुछ सही हो.''
वॉलमार्ट को बेचे गए बिनी बंसल के हिस्से की कीमत करीब 700 करोड़ थी और अब भी कंपनी में बचे हुए हिस्से की कीमत 88 करोड़ 10 लाख डॉलर है.
फिलहाल, बिनी बंसल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्होंने कहा है कि वो ​फ़्लिपकार्ट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बने रहेंगे.
बिनी की जगह कल्याण कृष्णमूर्ति ग्रुप के नए सीईओ होंगे.
संभव है कि आपको भी कभी ऐसा व्हाट्सएप्प मैसेज मिला हो कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को दुनिया का सबसे बेहतरीन ध्वज घोषित किया जा चुका है. या भारत की करेंसी को यूनेस्को ने सर्वश्रेष्ठ घोषित किया है या आपका धर्म ख़तरे में है और उसे बचाने की ज़रूरत है.
अक्सर इस तरह के मैसेज मिलने पर हम उन्हें बिना जांचे परखे आगे फ़ॉर्वर्ड कर देते हैं और जाने-अनजाने फ़ेक न्यूज़ के मायाजाल में फंस जाते हैं.
फ़ेक न्यूज़ की समस्या से इस समय पूरी दुनिया परेशान है, इसी सिलसिले में बीबीसी ने एक रिसर्च जारी की है जिसके ज़रिए यह बात सामने आई कि लोग राष्ट्र निर्माण की भावना से राष्ट्रवादी संदेशों वाली फ़ेक न्यूज़ को साझा कर देते हैं.
बीबीसी ने अपनी रिसर्च में पाया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्विटर हैंडल जितने अकाउंट को फ़ॉलो करता है उनमें से क़रीब 56 प्रतिशत वैरिफ़ाइड नहीं हैं. इन बिना वैरिफ़िकेशन वाले अकाउंट से 61 प्रतिशत बीजेपी का प्रचार होता है.
इस रिसर्च के बारे में बीजेपी प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल कहते हैं, "इस बात में कोई संदेह ही नहीं है कि फ़ेक न्यूज़ एक बहुत बड़ी चुनौती है. चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि चुनाव आने वाले हैं. 2019 के चुनावों के लिए अभी से बहुत से लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं, जिनका काम ही फ़ेक न्यूज़ फैलाना है."
हालांकि, गोपाल कृष्ण अग्रवाल ये भी कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं, विपक्ष के लोग कुछ भी बोलने और पोस्ट करने लग जाते हैं ताकि सरकार उनका जवाब देती फिरे.
वो कहते हैं, "कभी कोई गौ-रक्षा के नाम पर फ़ेक न्यूज़ फैला देता है तो कभी दलितों के नाम पर."
पर वो ये भी मानते हैं कि फ़ेक न्यूज़ न फैले ये सिर्फ़ सरकार के ही नहीं, सभी के हित में है. लेकिन इसे कंट्रोल कर पाना थोड़ा मुश्किल है.

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